Anupam Raag and Rahat Fateh Ali Khan - Saware

चाहा दिलो जान से
तुम्हे मेरे सावरे
दोनो थे सामने
पर थे बड़े फ़ासले.

ज़िंदगी आ गयी
थी कदम थामने
कहाँ तुम्हे ढूंडूँ मैं सवरे
हो ही गये हैं ये दो नैन बावारे
हो कहाँ तुम्हे ढूंडूँ मैं सवरे
हो गये है यह दो नैन बावारे
बावारे
बावारे… नैना हुवे रे बावारे
ओ मोरे सावरे
नैना हुवे बावरे
साँसों में तेरी साँसें हैं घुली
जीने की मेरी वजह बनी
साँसों में तेरी साँसें हैं घुली
जीने की मेरी वजह बनी
जीने की वजह बनी
देखता हूँ जिधर
तू ही है सामने
कहाँ तुम्हे ढूंडूँ मैं संवारे, सवरे
हो.. हो गये है ये दो नैन बावारे, बावारे

हाथों में तेरे हाथों को लेकर
टे होंगी सभी राहें मेरी
हाथों में तेरे हाथों को लेकर
टे होंगी सभी राहें मेरी
टे होंगी राहें मेरी

मंज़िलें खुद से ही आएँगी थामने
कहाँ तुम्हें ढूनडूं मैं सवरे
हो गये हैं यह दो नैन
बावारे
कहाँ तुम्हें ढूनडूं मैं संवारे
हो गये हैं ये दो नैन बावरे, बावरे
कहाँ तुम्हें ढूनडूं मैं संवारे
हो गये हैं ये दो नैन बावरे, बावरे

Written by:
ANUPAMA RAAG

Publisher:
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Anupam Raag and Rahat Fateh Ali Khan

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