Salim Merchant - Khudaya Ve
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
दिल के करीब लाया दिल का नसीब रे
दिल के करीब लाया दिल का नसीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
आँखों से ख्वाब रूठे
अपनों के साथ छूटे
तपती हुई राहों में
पैरो के छाले फूटे
हेय हेय
आँखों से ख्वाब रूठे
अपनों के साथ छूटे
तपती हुई राहों में
पैरो के छाले फूटे
प्यासी तड़प रहे है
साहिल क़रीब रे
प्यासी तड़प रहे है
साहिल क़रीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
आंसू नमक से लगे
रिश्ते है कच्चे धागे
रेत पे अपने साये
खुद से क्यूँ दूर भागे
हेय
आंसू नमक से लगे
रिश्ते है कच्चे धागे
रेत पे अपने साये
खुद से क्यूँ दूर भागे
हेय
खींच के हम को लाया
कहाँ पे रक़ीब रे
खींच के हम को लाया
कहाँ पे रक़ीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
खुदाया वे हाय
इश्क़ है कैसा ये अजीब रे
Written by:
SHABBIR AHMED, SALIM SADRUDDIN MOLEDINA MERCHANT, SULAIMAN SADRUDDIN MOLEDINA MERCHANT
Publisher:
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