Nikhil D'souza - People [Reprise]

हो हो हो हो हो हो
बचपन बेपरवाह
गलियों में खिला
हद अनहद जहाँ
मासूम कारवाँ
वो रहते उँचुए
गर बदले ना उन्हे
हम कहके ज़िंदगी
जो नहीं सही
हम एक से हैं
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं
रंग अलग हो, तो क्या
साँसों में तो है इक हवा

हम एक से हैं (हम एक से हैं)
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं (फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं)

क्यूँ ना जाने हम यह की
थोड़े से प्यार की है बस कमी
परिंदे ख्वाबों के
थामे हाथ, उड़े
नाचे सारी रात
खुशी लेके साथ
इक दिन वो देख ले
खफा से ख्वाब हुए
वो कहेंगे यही ज़िंदगी
जो नहीं सही

हम एक से हैं (हम एक से हैं)
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं (फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं)

रंग अलग हो, तो क्या
साँसों में तो है इक हवा

हम एक से हैं (हम एक से हैं)
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं (फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं)

क्यूँ ना जाने हम यह की
थोड़े से प्यार की है बस कमी
हम दे गर तोड़ा प्यार
मिलेगा बेशुमार
भूले से ना भूलें हम एक दिल हैं
हो हो हो हो हो हो

हम एक से हैं (हम एक से हैं)
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं (फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं)

रंग अलग हो, तो क्या
साँसों में तो है इक हवा

हम एक से हैं (हम एक से हैं)
फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं (फिर क्यूँ यह फ़ासले हैं)

क्यूँ ना जाने हम यह की
थोड़े से प्यार की है बस कमी

Written by:
JONATHAN HUGH QUARMBY, NEIL RICHARD ORMANDY, NIKHIL D'SOUZA

Publisher:
Lyrics © Ultra Tunes, Sony/ATV Music Publishing LLC

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Nikhil D'souza

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