Dinesh Arjuna - Jaane Ye Kya Hua [Pt.1]
जाने ये क्या हुआ एक ऐसा पल गया
जाने ये क्या हुआ एक ऐसा पल गया
बिखरा तेरा वजूद जीवन बदल गया
तुझको ही तेरा मन जाने क्यों छल गया
जाने क्यों छल गया, जाने क्यों छल गया, आ आ आ
पलभर का ये भरम झुठा खुमार हैं
कांटे खिले जहाँ ये वो बहार हैं (आ आ आ आ)
बेचैन इतनी हैं ए ए ए, तलाश में
वो कस्तूरी छुपी ई ई ई ई, तेरे ही पास में, तेरे ही पास में
अर्धांग्नि एक अर्धसत्य (आ आ आ आ, आ आ आ आ)
एक अर्धसत्य (आ आ आ आ)
एक अर्धसत्य (आ आ आ आ)
आँखें बनी चिता हर ख्वाब जल गया
आँखें बनी चिता हर ख़्वाब जल गया
कितनी सुबह सुबह सूरज ये ढल गया
तुझको तेरा नसीब जाने क्यों छल गया
जाने क्यों छल गया, जाने क्यों छल गया
आ आ आ आ आ आ आ
इस गम की धूपमें साया नहीं कोई
अपनों की भीड़ में अपना नहीं कोई (आ आ आ आ आ आ)
ना कोई हमकदम म्म म्म म्म, ना कोई हमनवा
अश्कों से क्यों लिखी ई ई ई, तेरी ये दास्ताँ, तेरी ये दास्ताँ
आँखें बनी चिता हर ख़्वाब जल गया
कितनी सुबह सुबह सूरज ये ढल गया
तुझको तेरा नसीब जाने क्यों छल गया
जाने क्यों छल गया, जाने क्यों छल गया
Written by:
DINESH ARJUNA
Publisher:
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