Apoorv Gupta and Pandit Vinod Kumar - Bematlab Thi Zindagi

बे मतलाब थी जिंदगी
ब्यासर सी थी खुशी
पील टू मैटलैब मिला
जीने हसने का सब मिला
ओ ओ ओ

बेखबर में थी कहीं
जी राही थी बस युन्ही
तू मिले तो सुबाह मिलिश
जीने की कब चाह मिली

राते लम्बी गनी थी
कुछ ना कुछ तो कामी थी
राते लम्बी गनी थी
कुछ ना कुछ तो कामी थी
सूनी सूनी सी रहे थि
तन्हा तन्हा सी बहे थी
तुम मिले तो खुशिया मिलि
एक नई दुनिया मिली

सीने में ही दाबी थी
जीतानी भी ख्वाहिश थी
सीने में ही दाबी थी
जीतानी भी ख्वाहिश थी
अपने सारे बेगाने थे
खुद से भी हम अंजाने थे
तुम मिले तो सपना मिला
कोई तो अपना मिला (ओ ओ ओ )

Written by:
ARBIND JHA

Publisher:
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Apoorv Gupta and Pandit Vinod Kumar

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