Anup Jalota - Aapse Kya Dosti Hone Lagi
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
फिर हसीनो की तरफ महिल हैं दिल
फिर हसीनो की तरफ महिल हैं दिल
मोट से फिर दिल्लगी होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
मुश्कुरई मेरी टोबा पर बाहर
मुश्कुरई मेरी टोबा पर बाहर
पारसाई की हसी होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
तुम ना थे तो दिल को एक तास्किं थी
तुम ना थे तो दिल को एक तास्किं थी
तुम जो आए बेकली होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
हर खुशी में घूम का एक पहलू मिला
हर खुशी में घूम का एक पहलू मिला
हर नये घूम से खुशी होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
सुनके साहिर की गाज़ल उसने कहाँ
सुनके साहिर की गाज़ल उसने कहाँ
शायरी जादूगरी होने लगी
अपने दिल से दुश्मनी होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
आपसे क्या दोस्ती होने लगी
Written by:
ANUP JALOTA
Publisher:
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