Kundan Lal Saigal - Prem Ki Hai Is Jugmen Panth Nirala

प्रेम का है इस जग में
पंथ निराला
प्रेम तो है दुनिया में
कारण दुःख का
प्रेमी को होता है
अनुभव सुख का
शीतल पवन है
उस को प्रेम की ज्वाला
शीतल पवन है
उस को प्रेम की ज्वाला
प्रेम का है इस जग में
पंथ निराला
प्रेम जापान की जग में
रीत है न्यारी
अंसुवन के मानकों
पर प्रेम पुजारी
रो रो कर जप्ता है
प्रेम की माला
रो रो कर जप्ता है
प्रेम की माला
प्रेम का है इस जग में
पंथ निराला
पागल प्रेमी अब
तू क्यों रोता है
प्रेम का तो ऐसा ही
फल होता है
पागल प्रेमी अब
तू क्यों रोता है
प्रेम का तो ऐसा ही
फल होता है
पहले काहे न
तूने देखा भाला
पहले काहे न
तूने देखा भाला
पहले काहे न
तूने देखा भाला

Written by:
AGA KASHMIRI, R BORAL

Publisher:
Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Raleigh Music Publishing LLC

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Kundan Lal Saigal

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