Roop Kumar Rathod and Alka Yagnik - Sine Mein Sulagata Hai Dil

सिने में सुलगता है दिल
घाम से पिघलता है दिल
जीतने भी आँसू हैं बहे
उतना ही जलता है दिल
कैसी है यह अगन
कैसी है यह जलन
कैसी बारिश हुई
जल गया है चमन

कैसा यह सितम हो गया
पाया जिसे था वो खो गया
लगता है नसीब मेरा
हमेशा के लिए सो गया
कैसी है यह अगन
कैसी है यह जलन
कैसी बारिश हुई
जल गया है चमन

मैं हूँ और यादो की हैं परच्चाइया
ठोकरे हैं और हैं रुसवाया
डोर तक कुच्छ भी नज़र आता नही
हर तरफ फैली हैं बस तन्हैया
जलते थे जो मेरे लिए बुझ गये वो सारे दिए
तू ही यह बता दे जिंदगी कब तक कोई जिए
कैसी है यह अगन कैसी है यह जलन
कैसी बारिश हुई जल गया है चमन

च्छा गयी घाम की घटाए क्या करूँ
रो रही हैं यह हवाए क्या करूँ
घोलती थी रस जो कानो में कभी
खो गई हैं वो सदाए क्या करूँ
जाने एब्ब जाना है कहाँ
आँखो में है जैसे धुआँ
मिलते नही हैं रास्ते मिट गये सारे निशान
कैसी है यह अगन कैसी है यह जलन
कैसी बारिश हुई जल गया है चमन

सिने में सुलगता है दिल
घाम से पिघलता है दिल
जीतने भी आँसू हैं बहे
उतना ही जलता है दिल
कैसी है यह अगन
कैसी है यह जलन
कैसी बारिश हुई
जल गया है चमन

Written by:
JAVED AKHTAR, NAGRATH RAJESH ROSHAN

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Roop Kumar Rathod and Alka Yagnik

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