Anup Jalota - Fursat Hai Kisko Rone Ki
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
मोटी पिरो रहा हूँ ग़रेबान के तार में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
कलियाँ भी मुस्कुराती है खिलते है फूल भी
कलियाँ भी मुस्कुराती है खिलते है फूल भी
बस आपकी कमी हैं चमन की बाहर में
मोटी पिरो रहा हूँ ग़रेबान के तार में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
किस किस का खून होने पे रोया करे कोई
किस किस का खून होने पे रोया करे कोई
हैं लखो हसरते दिले उमीद वार में
मोटी पिरो रहा हूँ ग़रेबान के तार में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
पॅल्को पे आ चुकी हैं लाहूं की हर एक बूँद
पॅल्को पे आ चुकी हैं लाहूं की हर एक बूँद
बाकी ही क्या रहा हैं दिले शॉगवार में
मोटी पिरो रहा हूँ ग़रेबान के तार में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
ये एहले दिल चस्में बसीर रत से देखना
ये एहले दिल चस्में बसीर रत से देखना
माहिर के दिल का खून हैं हर ललज़ार में
मोटी पिरो रहा हूँ ग़रेबान के तार में
फ़ुर्सत है किसको रोने की डोरे बाहर में
Written by:
ANUP JALOTA, MAHIR
Publisher:
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