Kundan Lal Saigal - Kahe Ko Raad Machai

काहे को रार मचायी
काहे को रार मचायी
छोडो भी ये निठुराई
काहे को रार मचायी
छोडो भी ये निठुराई
काहे को रार मचायी
मन के बैर को मोह से बादलो
दुःख भी सुख बन जाए
मन के बैर को मोह से बादलो
दुःख भी सुख बन जाए
इसी मोह में अपना पराया
दोनों की है भलाई
इसी मोह में अपना पराया
दोनों की है भलाई
काहे को रार मचायी
काहे को रार मचायी

हर पल नयी बहार
देखो जगत सिंगर
हर पल नयी बहार
देखो जगत सिंगर
खिली कली मुर्झा के बिक्ति
बांधी काली मुस्काई
खिली कली मुर्झा के बिक्ति
बांधी काली मुस्काई
प्रीत की रीत प्रीत की रीत
प्रीत की रीत प्रीत की रीत
प्रीत की रीत निभाना सीखो
बिगड़ा काम बनाना सीखो
प्रीत की रीत निभाना सीखो
बिगड़ा काम बनाना सीखो
जेक दर लिपट कर झूमि
करके प्रेम सगाई
जेक दर लिपट कर झूमि
करके प्रेम सगाई
काहे को रार मचायी
काहे को रार मचायी

Written by:
ARZOO LUCKNOWI, R BORAL

Publisher:
Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Raleigh Music Publishing LLC

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Kundan Lal Saigal

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