Ravindra Jain and Hemlata - Jai Jai Jai Giriraj Kishori
जय जय गिरिबरराज किसोरी।
जय महेश मुख चंद चकोरी।।
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनि दुति गाता।।
देवि पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथु जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।।
बसहु सदा उर पुर सबहिं कें।।
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं।
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं।
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं।
Written by:
Traditional
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