Lata Mangeshkar, Sachin Gupta and Shailendra Singh - Hum Tum Ek Kamre Mein [LoFi Vibe]
बाहर से कोई अंदर ना आ सके
अंदर से कोई बाहर ना जेया सके
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
तेरे नैनों की भूलभुलैया में
बॉबी खो जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
आगे हो घनघोर अंधेरा
बाबा मुझे डर लगता है
पीछे कोई डाकू लूटेरा
हम्म क्यूँ डरा रहे हो
आगे हो घनघोर अंधेरा
पीछे कोई डाकू लूटेरा
उपर भी जाना हो मुश्किल
नीचे भी आना हो मुश्किल
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम कहीं को जा रहे हो
और रस्ता भूल जाए
ओ हो
हम तुम कहीं को जा रहे हो
और रस्ता भूल जाए
तेरी बैयाँ के झूले में
सैयाँ बॉबी झूल जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
बस्ती से दूर परबत के
पीछे मस्ती में चूर
घने पेड़ों के नीचे
अनदेखी अंजानी सी जगा हो
बस एक हम हो दूजी हवा हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम
एक जंगल से गुज़रे
और शेर आ जाए
हम तुम
एक जंगल से गुज़रे
और शेर आ जाए
शेर से मैं कहूँ तुमको
छोड़ दे मुझे खा जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हो
और चाबी खो जाए
Written by:
ANAND BAKSHI, LAXMIKANT PYARELAL, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
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