Gulzar - Sirf Ehsaas Ke Paas Ho Tum

सिर्फ़ एहसास, के तुम पास हो बस
सिर्फ़ एहसास, के नज़दीक हो तुम
अनगिनत लोगो मे घबराई हुई
अजनबी आँखो से लज्जाइ हुई
तन पे लगती है, छिपकती आँखें
बर्फ सी ठंडी, सुलगती आँखें
अनगिनत नज़रो मे उलझा, लिपटा
अनगिनत चेहरो मे रखा चेहरा
सैकड़ो टाँगो मे उलझाई हुई
सहमी सिमटी हुई, शरमाई हुई
सिर्फ़ एहसास है के पास हो तुम
सिर्फ़ एहसास के, नज़दीक हो बस

Written by:
GULZAR

Publisher:
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