Gulzar - Worth Jo Scent Hai Mitti Ka

Worth जो scent है मिट्टी का
Worth जो तुमको भला लगता है
Worth के scent की खुश्बू थी theatre में
गयी रात के show में
तुमको देखा तो नहीं, scent की खुश्बू से
नज़र आती रही तुम
दो दो फिल्में थीं,बयक वक्त जो पर्दे पे र’वां थीं
पर्दे पर चलती हुई फिल्म के साथ
और इक फिल्म मेरे जहन पे भी चलती रही

‘एना’ के role में जब देख रहा था तुमको
Torstoy कहानी में हमारी भी कहानी के
सिरे जुड़ने लगे थे
सूखी मिट्टी पे चटकती हुई बारिश का वह मंजर
घास के सोंधे,हरे रंग
जिस्म की मिट्टी से निकली हुयी खुश्बू की वो यादें

मंजर-ए-रक्स में सब देख रहे तुम को
और मैं पाँव के उस ज़ख्मी अंगूठे पे बंधी पट्टी को
Shot के frame में जो आई ना थी
और वो छोटा अदाकार जो इस रक्स में
बे वजह तुम्हें छू के गुज़रता था
जिसे झिड़का था मैंने
मैंने कुछ shot तो कटवा भी दिए थे उस के

कोहरे के scene में, तू सचमुच ही ठिठुरती हुई
महसूस हुई
हाला की याद था गर्मी में बड़े कोट से
उलझी थीं बहुत तुम
और मसनुई धुएँ ने जो कई आफतें की थीं
हस के इतना भी कहा था तुमने
इतनी सी आग है
और उस पे धुएँ को जो गुमां होता है वो
कितना बड़ा है
बर्फ के scene में उतनी ही हसीं थी कल रात
जिसनी उस रात थीं,फिल्म के पहलगाम से
जब लौटे थे
और होटल में ख़बर थी कि तुम्हारे शौहर
सुबह की flight से वहाँ पहुँचे हुए हैं

रात की रात,बहुत कुछ था जो तबदील हुआ
तुमने उस रात भी कुछ गोलियाँ खा लेने की
कोशिश की थी
जिस तरह फिल्म के आखिर में भी
“एना कैरेनिना”
ख़ुदकुशी करती है,इक रेल के नीचे आ कर
Worth के scent की खुश्बू थी theatre में
गयी रात बहुत

Written by:
GULZAR

Publisher:
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