Kumar Sanu and Sapna Mukherjee - Sunday Ki Raat

संडे की रात थी
पहली मुलाक़ात थी
संडे की रात थी
पहली मुलाक़ात थी
मैं था वह थी मैं था
वह थी हलकी बरसात थी हाय

संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
मैं था वह थी मैं था
वह थी हलकी बरसात थी हाय

आलीशान किसी बंगले से
गाड़ी में वह निकली
मेरे प्यार में जाल
में फँस गई पैसे वाली तितली
आलीशान किसी बंगले से
गाड़ी में वह निकली
मेरे प्यार में जाल में
फँस गई पैसे वाली तितली
नौकर चाकर घुमेंगे
अब मेरे आगे पीछे
अब तो सारी दौलत होगी
इन कदमों के नीचे
सारी दुनिया उसके पीछे पर
वह मेरे साथ थी हाँ

संडे की रात थी
पहली मुलाक़ात थी
संडे की रात थी
पहली मुलाक़ात थी
वह था मैं थी
वह था मैं थी
हलकी बरसात थी हाय

मैंने उसको देखा तो
दिल मेरा धक् से धड़का
सर्दी के मौसम में भी
गरमी का शोला भड़का
मैंने उसको देखा तो
दिल मेरा धक् से धड़का
सर्दी के मौसम में भी
गरमी का शोला भड़का
पहली पहली नज़र में
बन गई मैं उसकी दीवानी
वह मेरे सपनों का
राजा और मैं उसकी रानी
सब कुछ उसको दे दिया मैंने
उसने ऎसी बात की सैया

संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
वह था मैं थी वह था मैं थी
हलकी बरसात थी हाय

संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
संडे की रात थी पहली मुलाक़ात थी
मैं था वह थी मैं था वह थी
हलकी बरसात थी हाय

Written by:
Anand-Milind, Sameer

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Kumar Sanu and Sapna Mukherjee

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