Kanwar Ajit Singh and Kavita Krishnamurthy - Zindagi Waqt Ka Aaina Hai
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
जिसमे अपना ही चेहरा
अनजाना सा लगता हैं
जिसको समझो अपना वह
बेगाना सा लगता हैं
बेगाना सा लगता हैं
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
झूटा हैं दुनिया का मेला
झूटी दुनियादारी
फिर क्यों देती पलकों को
ख्वाबों की जिम्मेदारी
दूर तलक फैला कोई
वीराना सा लगता हैं
जिसको समझो अपना वह
बेगाना सा लगता हैं
बेगाना सा लगता हैं
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
ठहरी ठहरी कदमों से
मंज़िल की क्या उम्मीदें
बेहतर है चुप रहे के
अपने होंठो को ही सी दे
जिसको देखो आज वही
दीवाना सा लगता हैं
जिसको समझो अपना वह
बेगाना सा लगता हैं
बेगाना सा लगता हैं
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
किसे पता कब किसी मोड़ पे
रहे न अपना मैं
जिसे न जाना उसी की तरह
हो जाए आकर्षण
जरा गौर से देखो तोह
अफ़साना सा लगता हैं
जिसको समझो अपना वह
बेगाना सा लगता हैं
बेगाना सा लगता हैं
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
जिसमे अपना ही चेहरा
अनजाना सा लगता हैं
जिसको समझो अपना वह
बेगाना सा लगता हैं
बेगाना सा लगता हैं
ज़िन्दगी वक़्त का आइना हैं
Written by:
Rajesh Johri, Ajit Singh
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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