Gurbachan Singh Inder Singh Chuate - Ek Ajnabee Haseena Se

हम्म हम्म हम्म हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई
फिर क्या हुआ ये ना पूछो कुछ ऐसी बात हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई

वो अचानक आ गई यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
वो अचानक आ गई यूँ नज़र के सामने
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे ज़ुल्फ़ें बिखरी हुई थी दिन में रात हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई

जान-ए-मन जान-ए-जिगर होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
जान-ए-मन जान-ए-जिगर होता मैं शायर अगर
कहता ग़ज़ल तेरी अदाओं पर
मैंने ये कहा तो मुझसे ख़फ़ा वो जान-ए-हया हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई

खूबसूरत बात ये चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
खूबसूरत बात ये चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
मैं अकेला था मगर बन गई वो हमसफ़र
वो मेरे साथ हो गई
एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई

Written by:
ANAND BAKSHI, R.D. BURMAN, ANANDSHI BAKSHI, R D Burman

Publisher:
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Gurbachan Singh Inder Singh Chuate

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