Prateek Kuhad - Janeman
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
तेरे बिना आसरा मेरा क्या है खुदा
कुदरत का यही है सिला
टूटा तो दिल तेरा मेरा
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
तेरी रूह इस ताबीज़ में
मेरे गले पे नूर है
बेचैनियाँ मंज़ूर हैं
तू पास होके क्यों दूर है
कितने हसीं इरादों से
बना यह सिलसिला
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
तेरे बिना आसरा मेरा क्या है खुदा
कुदरत का यही है सिला
टूटा तो दिल तेरा मेरा
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
साया तेरा था धूप में
तू है सितारा हर रूप में
कभी रूठ जाए तो
तुझे साथ ले लूंगा
और देखते ही देखते
अपना बना लूंगा
महफूज कर लिया था हमने
सारा ही जहान
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
तेरे बिना आसरा मेरा क्या है खुदा
कुदरत का यही है सिला
टूटा तो दिल तेरा मेरा
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
जानेमन सोच के मुझे तू ये बता
Written by:
Prateek Kuhad
Publisher:
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