Vansh Vijan and सनम - Badalne Ke Intezaar Mein [Remix]

समंदर में पत्थर गुमशुम है पड़ा
सपनो की दुनिया में चुप है खड़ा
देखते ही देखते सूरज डूब रहा
अगर कुछ बदला नही तो अंधेरा सामने है खड़ा
उलझी हुई है वक़्त की परच्छाइयाँ
यह पूरा दौर है बदलने के इंतेज़ार में
बदलने के इंतेज़ार में

बझी हुई है वक़्त की परच्छाइयाँ
यह पूरा दौर है बदलने के इंतेज़ार में
बदलने के इंतेज़ार में

हर दिन सवाल उठते हैं कई
पर जवाब किसी के पास नही
क्या है गलत क्या है सही
समझा क्या कोई आँखें खोले अभी

उलझी हुई है वक़्त की परच्छाइयाँ
यह पूरा दौर है बदलने के इंतेज़ार में
बदलने के इंतेज़ार में

बझी हुई है वक़्त की परच्छाइयाँ
यह पूरा दौर है बदलने के इंतेज़ार में
बदलने के इंतेज़ार में


Written by:
Samarsanam, Samar Puri

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Vansh Vijan and सनम

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