D.K. Verma - Chhoo Lene Do Nazuk Honthon Ko
छू लेने दो नाजुक होठों को
कुछ और नहीं है जाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
कुछ और नहीं है जाम है ये
कुदरत ने जो हमको बक्शा है
वो सबसे हसि इनाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
शरमा के न यूँ ही खो देना
रंगीन जवानी की घड़ियाँ
शरमा के न यूँ ही खो देना
रंगीन जवानी की घड़ियाँ
बेताब धड़कते सीनों का
अरमान भरा पैगाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
कुछ और नहीं है जाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस में को मुबारक चीज़ समझ
माना की बहुत बदनाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
कुछ और नहीं है जाम है ये
कुदरत ने जो हमको बक्शा है
वो सबसे हसि इनाम है ये
छू लेने दो नाजुक होठों को
Written by:
RAVI, LUDHIANVI SAHIR, SAHIR LUDHIANVI
Publisher:
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