Asha Bhosle and R. D. Burman - Rishte Bante Hain

रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकाने देते
पकाने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकने देते
पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकने देते

एक चिंगारी का उड़ना था कि पर काट दिए
ओ एक चिंगारी का उड़ना था कि पर काट दिए
ओ आँच आई थी ज़रा आग तो जलने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकाने देते

एक ही लम्हे पे एक साथ गिरे थे दोनों
ओ एक ही लम्हे पे एक साथ गिरे थे दोनों
ओ खुद संभलते या ज़रा मुझको संभलने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकने देते
पकने देते
ओ रिश्ते बनते हैं बड़े धीरे से बनने देते
कच्चे लम्हे को ज़रा शाख पे पकने देते
पकने देते

Written by:
GULZAR, R D BURMAN

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Asha Bhosle and R. D. Burman

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