Kavita Krishnamurthy - Kab Hogi Mujh Pe
शम्मा महफ़िल में जब भी जलती है
एक एक बूंद वो पिघलती है
हाँ चीर कर रात के अंधेरों को
चीर कर रात के अंधेरों को
लम्हा लम्हा ये रात ढलती है
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
तेरे ही करम रूप ये भाया
तुझको बनाया अपना सहारा
तेरे ही करम रूप ये भाया
तुझको बनाया अपना सहारा
कर दे तू रोशन किस्मत का तारा
तूफान में है नैया बन जा किनारा
लिख दे मोहब्बत से तू मेरी कहानी
लिख दे मोहब्बत से तू मेरी कहानी
लिख दे मोहब्बत से तू मेरी कहानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
छाए हुए हैं दर्द के साए
सदा ज़िंदगी में आँसू बहाए
छाए हुए हैं दर्द के साए
सदा ज़िंदगी में आँसू बहाए
कौन है अपना सब हैं पराए
तेरे ही नगमे लबों ने सुनाए
कदमों पे रख दी तेरे अपनी जवानी
कदमों पे रख दी तेरे अपनी जवानी
कदमों पे रख दी तेरे अपनी जवानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कब होगी मुझ पे ज़ालिम तेरी मेहरबानी
कर दी हवाले तेरे मैंने ज़िंदगानी
Written by:
Daur Saifee
Publisher:
Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)
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