Jagjit Singh - Aankhon Mein Jal Raha Hai Kyun
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
चूल्हें नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई
चूल्हें नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गये हैं अब उठता नहीं धुआँ
कुछ रोज़ हो गये हैं अब उठता नहीं धुआँ
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
आँखों के पोछने से लगा आँच का पता
आँखों के पोछने से लगा आँच का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ
आँखो से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
आँखो से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमान यह घरमें आये तो चुभता नहीं धुआँ
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ
आँखो मे जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
Written by:
GULZAR, JAGJIT SINGH
Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
Lyrics powered by Lyric Find