चित्रा सिंघ and Jagjit Singh - Aaye Hain Samjhane Log

आये हैं समझाने लोग
आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
आये हैं समझाने लोग

दैर ओ हरम में चैन जो मिलता
दैर ओ हरम में चैन जो मिलता
क्यूँ जाते मयखाने लोग
क्यूँ जाते मयखाने लोग

जान के सब कुछ कुछ भी ना जाने
जान के सब कुछ कुछ भी ना जाने
हैं कितने अनजाने लोग
हैं कितने अनजाने लोग

वक़्त पे काम नहीं आते हैं
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग

अब जब मुझको होश नहीं है
अब जब मुझको होश नहीं है
आये हैं समझाने लोग
आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
आये हैं समझाने लोग

Written by:
JAGJIT SINGH, KUNWAR MAHENDRA SINGH BEDI

Publisher:
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चित्रा सिंघ and Jagjit Singh

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