Mithoon, Mohit Chauhan, Sukhwinder Singh, अनुग्रह, मेघा श्रीराम and Badshah - Bolo Har Har Har
आग बहे तेरी रग में
तुझसा कहाँ कोई जग में
है वक़्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढाए कहर
तो बोलो हर हर हर
तो बोलो हर हर हर
तो बोलो हर हर हर
आदि ना अंत है उसका
वो सबका ना इनका उनका
वही है माला वही है मनका
मस्त मलंग वो अपनी धुन का
जंतर मंतर तंतर जागी
है सर्वत्र के स्वाभिमानी
मृत्युंजय है महा विनाशी
ओमकार है इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
इसी की इसी की इसी की वाणी
भांग धतुरा बेल का पत्ता
तीनो लोक इसी की सत्ता
विष पीकर भी अडिग अमर है
महादेव हर हर है जपता (जपता)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय (बसा शिवाय)
तो बोलो हर हर हर
तो बोलो हर हर हर (हो हो)
अघोरानाम परो मंत्रो नास्ति तत्वों गुरु परम
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय
शिव रक्ष्यामम शिव पाहिमाम
शिव त्राहिमाम शिव रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव पाहिमाम
महादेव जी पाहिमाम शरणागतम्
तवं त्राहिमाम रक्ष्यामम
शिव पाहिमाम शिव
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सौम्य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जन्मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी
है प्यासी हाँ प्यासी
राम भी उसका रावन उसका
जीवन उसका मरण भी उसका
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है
आँख तीसरी जब ये खोले
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले
गूँज उठे हर दिशा क्षितिज में
नांद उसी का बम बम भोले (बम बम भोले)
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
वही शून्य है वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय
तू ही शिवा तुझमे ईश्वर
कोई नही यहाँ तेरे सिवा
उड़ा राख अग्नि को ज्वाला तू कर
मिटा दे अंधेरे तू बन के सहर
तो बोलो हर हर हर
जा जा कैलाश जा कर विनाश (हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश
जा जा कैलाश जा कर विनाश (तो बोलो हर हर हर)
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव महा एकाकी
जिसके लिए जगत है झांकी (तो बोलो हर हर हर)
जटा में गंगा चाँद मुकुट है
सोम्य कभी कभी बड़ा विकट है
आग से जलना है कैलाशी
शक्ति जिसकी दर्द की प्यासी (तो बोलो हर हर हर)
यक्ष स्वरूपाया जट्टा धराय
पिनाका हस्थाथाया सनातनाय
दिव्याया देवाया दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय
Written by:
MITHOON, SANDEEP SHRIVASTAVA
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
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