Arijit Singh and निहार जोशी देशपांडे - Sajde
एक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं
क्या मोड़ आया है कहानी में
वो भीग रही है बारिश में
और आग लगी है पानी में
रब लब्भा पापियां नु
जिना चंगे काम ना चंगे लगदे
ओ किवें पिंड कजिये
अस्सी चोल पाके वि नंगे लगदे
आ आ ओ
ओ ज़िन्दगी यूँ गले आ लगी है आ लगी है
कोई खोया हुआ बरसों के बाद आ गया
ओ फीके फीके थे दिन रात मेरे साथ मेरे
छुआ तूने तो जीने का स्वाद आ गया
एक तरह के आवारा थे
एक तरह की आवारगी
दीवाने तो पहले भी थे
अब और तरह की दीवानगी
सजदे बिछावां वे
ओ गली गली हो गली गली हो गली गली
जिस सहर विच मेरा यार वसदा
कमाना पैंदा ये खटके हो खटके
हो इत्थे रब ना कोई उधार लभदा
एक ख़्वाब ने आँखें खोली हैं
क्या मोड़ आया है कहानी में
वो भीग रही हैं बारिश में
और आग लगी है पानी में
ख्वाबी ख्वाबी सी लगती है दुनिया
आँखों में ये क्या भर रहा है
मरने की आदत लगी थी
क्यों जीने को जी कर रहा है
पहले तो बेगानी नगरी में
हमको किसी ने पुछा न था
सारा सेहर जब मान गया तो
लगता है क्यों कोई रूठा न था
सजदे बिछावां वे
ओ गली गली हो गली गली हो गली गली
जिस सहर विच मेरा यार वसदा
कमाना पैंदा हो खटके हो खटके
हो इत्थे रब ना कोई उधार लभदा
ओ ज़िन्दगी यूँ गले आ लगी है आ लगी है
कोई खोया हुआ बरसों के बाद आ गया
एक तरह के आवारा थे
एक तरह की आवारगी
दीवाने तो पहले भी थे
अब और तरह की दीवानगी
सजदे बिछावां वे
ओ गली गली हो गली गली हो गली गली
जिस सहर विच मेरा यार वसदा
कमाना पैंदा हो खटके हो खटके
हो इत्थे रब ना कोई उधार लभदा
सजदे बिछावां वे
ओ गली गली हो गली गली हो गली गली
जिस सहर विच मेरा यार वसदा
कमाना पैंदा हो खटके हो खटके
हो इत्थे रब ना कोई उधार लभदा
Written by:
GULZAR, EHSAAN NOORANI, LOY MENDOSA, SHANKAR MAHADEVAN
Publisher:
Lyrics © Royalty Network
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