कविता कृष्णमूर्ति and Udit Narayan - Hamesha Tumko Chaha
आई ख़ुशी की है ये रात आई
सज धज के बारात है आई
धीरे धीरे ग़म का सागर
थम गया आँखों में आ कर
गूंज उठी है जो शहनाई
तो आँखों ने ये बात बताई
हमेशा तुमको चाहा और चाहा
और चाहा चाहा चाहा
हमेशा तुमको चाहा
और चाहा कुछ भी नहीं
तुम्हें दिल ने है पूजा पूजा पूजा
और पूजा कुछ भी नहीं
ना ना नहीं ना ना नहीं
नहीं नहीं नहीं नहीं कुछ भी नहीं
हो कुछ भी नहीं हो कुछ भी नहीं
आ आ आ आ आ
खुशियों में भी छाई उदासी
दर्द की छाया में वो लिपटी
कहने पिया से बस ये आई
कहने पिया से बस ये आई
जो दाग तुमने मुझको दिया
उस दाग से मेरा चेहरा खिला
रखूँगी इसको निशानी बना कर
माथे पे इसको हमेशा सजाकर
ओ प्रीतम ओ प्रीतम
बिन तेरे मेरे इस जीवन में
कुछ भी नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
कुछ भी नहीं
बीते लम्हों की यादें लेकर
बोझल क़दमों से वो चल कर
दिल भी रोया और आँख भर आई
मन से ये आवाज़ है आई
वो बचपन की यादें
वो रिश्ते वो नाते वो सावन के झूले
वो हँसना वो हँसाना वो रूठ के फिर मनाना
वो हर एक पल
मैं दिल में समाये दीये में जलाये
ले जा रही हूँ
मैं ले जा रही हूँ
मैं ले जा रही हूँ
ओ प्रीतम ओ प्रीतम
बिन तेरे मेरे इस
जीवन मैं कुछ भी नहीं नहीं नहीं
कुछ भी नहीं
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हमेशा तुमको चाहा और चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
चाहा चाहा चाहा
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हा चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
हा चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
हुन हुना हुन हुना हुन हुना
और चाहा चाहा चाहा (हुन हुना हुन हुना हुन हुना)
Written by:
NUSRAT BADR, ISMAIL DARBAR
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
Lyrics powered by Lyric Find