Jagjit Singh - Badi Haseen Raat Thi

चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी

मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शमा बुझ गई

मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शमा बुझ गई
गिलास गुम शराब गुम बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी

लिखा था जिस किताब में कि इश्क़ तो हराम है

लिखा था जिस किताब में कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब गुम बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी

लबों से लब जो मिल गए लबों से लब ही सिल गए

लबों से लब जो मिल गए लबों से लब ही सिल गए
सवाल गुम जवाब गुम बड़ी हसींन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी

Written by:
JAGJIT SINGH, SUDARSHAN FAAKIR

Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC

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