Armaan Malik and जोनिता गाँधी - Main Agar Kahoon Bol Do Na Zara
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ
किसी ज़बाँ में भी वो लफ़्ज़ ही नहीं
कि जिनमें तुम हो क्या तुम्हें बता सकूँ
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा
मैं किसी से कहूँगी नहीं
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा (बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा)
मैं किसी से कहूँगा नहीं (मैं किसी से कहूँगी नहीं)
मुझे नींद आती नहीं है अकेले
ख़्वाबों में आया करो
नहीं चल सकूँगा तुम्हारे बिना मैं
मेरा तुम सहारा बनो
तुम हुए मेहरबाँ, तो है ये दास्ताँ
एक तुम्हें चाहने के अलावा
और कुछ हमसे होगा नहीं
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा(दो ज़रा जो छिपा)
मैं किसी से कहूँगा नहीं(किसी से कहूँगा नहीं)
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा(बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा)
मैं किसी से कहूँगा नहीं (मैं किसी से कहूँगी नहीं)
वो ओ ओ ओ ओ ओ
शोख़ियों में डूबी ये अदाएँ
चेहरे से झलकी हुई हैं
ज़ुल्फ़ की घनी-घनी घटाएँ
शान से ढलकी हुई हैं
रूह से चाहने वाले आशिक़
बातें जिस्मों की करते नहीं
मैं अगर कहूँ हमसफ़र मेरी
अप्सरा हो तुम या कोई परी
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं (सच है कुछ भी नहीं)
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा(ओ ओ ओ ओ)
मैं किसी से कहूँगा नहीं(ओ ओ ओ ओ)
बोल दो ना ज़रा, दिल में जो है छिपा(ओ ओ ओ ओ)
मैं किसी से कहूँगा नहीं(ओ ओ ओ ओ)
Written by:
ABHIJIT SHARAD VAGHANI, AMAL ISRAR MALLIK, JAVED AKHTAR, RASHMI SINGH, SHEKHAR RAVJIANI, VISHAL DADLANI
Publisher:
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