Jagjit Singh and चित्रा सिंघ - Woh Jo Hum Mein Tum Mein Qarar Tha
वह जो हम में तुम में क़रार था तुम्हे याद हो के ना याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हे याद हो के ना याद हो
वह जो हम में तुम में क़रार था
वह नए जिले वह शिकायतें वह मज़े मज़े की हिक़ायते
वह हर एक बात पे रूठना तुम्हे याद हो के ना याद हो
कोई बात ऐसे कदर हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी
कोई बात ऐसे कदर हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी
तो बया से पहले ही भूलना तुम्हे याद हो के न याद हो
वो जो हम में तुम में क़रार था
जिसे आप कहते थे आशना जिसे आप गिनते थे बावफ़ा
मैं वही हूँ मोमिन-इ-मुबतला तुम्हें याद हो के ना याद हो
वो जो हम में तुम में क़रार था
Written by:
MOMIN, JAGJIT SINGH
Publisher:
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