Rajat Kumar - Zara Zara [Unplugged]
तड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें
एक बार ऐ दिवानी
झूठा ही सही प्यार तो कर
मैं भुला नहीं हसीं मुलाकातें
बैचेन कर के मुझको
मुझसे यूँ ना फेर नज़र
सर्दी की रातों में
हम सोये रहें एक चादर में
हम दोनों तन्हाँ हो
ना कोई भी रहे इस घर में
ज़रा ज़रा बहकता है महकता है
आज तो तेरा तन बदन
मैं प्यासा हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में
हां
यूँ ही बरस बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाएँ
इस चाहत की बारिश में
तेरी खुली खुली लटों को सुलझाऊ
मैं अपनी उँगलियों से
मैं तो हूँ इसी ख्वाहिश में
रूठेगा ना मुझसे
मेरे साथिया ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है
जीना मेरा मेरे दिलबर
ज़रा ज़रा बहकता है महकता है
आज तो तेरा तन बदन
मैं प्यासा हूँ
मुझे भर ले अपनी बाहों में
हां
Written by:
Sameer, Desi Urban (Guru), J Jayaraj Harris
Publisher:
Lyrics © Royalty Network, O/B/O DistroKid
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