Lata Mangeshkar, मन्ना डे and Mohammed Rafi - Tu Hai Ya Nahin Bhagwan

तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन
कभी होता भरोसा
कभी होता भरम
पड़ा उलझन में है इंसान
तू है या नहीं भगवन

मत उलझन में पड़ इंसान
तेरे सोचे बिना जब होता है सब
तोह समझ ले कही है भगवन
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन

वह है अगर तोह
क्यों न दिखाई
कैसी यह उलटी रीत है
झूठा है वह उसके झूठे ही
भय से झूठा
जगत भयभीत है
घन घन गरजती हुयी
यह घटाये किस का
सुनती गीत हैं
लहराते सागर की
लहरों में गूंजे
किस का अमर संगीत है
किस का अमर संगीत है
जो दाता है सबका महान
दिया जिसने जन्म दिया जिसने
यह तन कुण न
उसको सका तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवन
तू है या नहीं भगवन

बालक की ममता रोती है
क्यों अनहोनी जग में होती है

मंदिर में दीप जलाते हैं जो उनके
घर की बूझती ज्योति है क्यों
अनहोनी जग में होती है क्यों
होता नहीं क्या अचम्भा बड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
फूलों में रंग झरनो में तरंग
धरती में उमंग जो उठता
वह कौन क्या तुम
बादल में बिजली पहाडो
में फूल जो खिलता
वह कौन क्या तुम
वह है सर्वशक्तिमान
कण कण में
बेस पर न दिखाई दे
उसकी शक्ति को तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

Written by:
Bharat Vyas, S N tripathi

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Lata Mangeshkar, मन्ना डे and Mohammed Rafi

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