Sajjad Ali - Dost
बने थे दोस्त दिल दुखाने को
बने थे दोस्त दिल दुखाने को
ये ही बहोत है दिल जलाने को
बने थे दोस्त
मैं तेरी नफरते ले कर चला हूँ
मैं तेरी नफरते ले कर चला हूँ
उदासियों के घर सजाने को
उदासियों के घर सजाने को
ये ही बहोत है दिल जलाने को
बने थे दोस्त
हमे न काम होता देखने का
हमे न काम होता देखने का
बड़ा ही शौक था ज़माने को
बड़ा ही शौक था ज़माने को
ये ही बहोत है दिल जलाने को
बने थे दोस्त
हर एक बात है निश्तर के जैसी
हर एक बात है निश्तर के जैसी
हजार जख्म है दिखाने को
हजार जख्म है दिखाने को
ये ही बहोत है दिल जलाने को
बने थे दोस्त
Written by:
Sajjad Ali
Publisher:
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