महेंद्र कपूर and Lata Mangeshkar - Jiske Sapne Humen Ros Aate Hai
जिसके सपने हमे रोज़ आते रहे
दिल लुभाते रहे ये बता दो बता दो
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
हो जिसके सपने हमे रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
जब भी झरनो से मैने सुनी रागिनी
जब भी झरनो से मैने सुनी रागिनी
मै ये समझा तुम्हारी ही पायल बाजी
हो जिसकी पायल पे, हो जिसकी पायल पे
हम दिल लूटाते रहे, जान लूटाते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
जिसके रोज़ रोज़ गीत हम गाते रहे, गुनगुनाते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
वो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
जब भी ठंडी हवा गुनगुनाते चली
जब भी ठंडी हवा गुनगुनाते चली
मै ये समझी तुम्हारी ही मुरली बजी
जिसकी मुरली पे जिसकी मुरली पे
हम लहराते रहे ,बलखाते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
हो जिसके सपने हमे रोज़ आते रहे, दिल लुभाते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
ये महकते बहकते हुए रास्ते
खुल गये आप ही प्यार के वास्ते
दे रही है पता मद भरी वादिया
जैसे पहले भी हम तुम मिले हो यहा
हो कितने जन्मो से, हो कितने जन्मो से
जिसको बुलाते रहे, आज़माते रहे
ये बता दो कही तुम वोही तो नही, वोही तो नही
हो जिसके सपने हमे रोज़ आते रहे (सपने हमे रोज़ आते रहे)
दिल लुभाते रहे (दिल लुभाते रहे)
ये बता दो कही तुम वोही तो नही (ये बता दो कही तुम वोही तो नही)
तुम वोही तो नही
हो तुम वोही तो नही
हो तुम वोही तो नही
वोही तो नही (वोही तो नही)
वोही तो नही (वोही तो नही)
Written by:
ANANDJI V SHAH, JAIPURI HASRAT, KALYANJI VIRJI SHAH
Publisher:
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