कीर्ति अनुराग and Jagjit Singh - Diwar-O-Dar Pe Naksh
दीवार ओ दर पे नक़्श बनाने का है जुनून
दीवार ओ दर पे नक़्श बनाने का है जुनून
ख़ुद तुझको आज तुझसे चुराने का है जुनून
दुनिया के भीड़ से हट जाने का है जुनून
दुनिया के भीड़ से हट जाने का है जुनून
हर आग में यह जिस्म तपाने का है जुनून
मौत और ज़िन्दगी तो बस मिलती है एक बार
मौत और ज़िन्दगी तो बस मिलती है एक बार
दोनों को शान से ही निभाने का है जुनून
कल तक जो ज़िन्दगी थी बनी आज इक अज़ाब
कल तक जो ज़िन्दगी थी बनी आज इक अज़ाब
अब इस अज़ाब में भी सिमट जाने का है जुनून
हर आग में यह जिस्म तपाने का है जुनून
देखो न रूठ जाए कहीं वक़्त हमनशीं
देखो न रूठ जाए कहीं वक़्त हमनशीं
मुट्ठी में वक़्त को भी छुपाने का है जुनून
चलता रहेगा वक़्त का पहिया ऐ जानेमन
चलता रहेगा वक़्त का पहिया ऐ जानेमन
दाँव पे अपनी जान लगाने का है जुनून
हर आग में यह जिस्म तपाने का है जुनून
Written by:
Chander Oberoi
Publisher:
Lyrics © Sony/ATV Music Publishing LLC
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