Sajjad Ali - Ab Ke Hum Bichre Toh Shayad
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले
जिस तरहा सूखे होए फूल
जिस तरहा सूखे हुवें फूल किताबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले
तू खुदा है ना मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा
तू खुदा है ना मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा
तू खुदा है ना मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा
दोनो इंसान है तो क्यूँ इतनें हिजाबों में मिले
दोनो इंसान है तो क्यूँ इतनें हिजाबों में मिले
जिस तरहा सूखे होए फूल
जिस तरहा सूखे हुवें फूल किताबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले
ढूंड उजड़े हुवें लोगों में वफ़ा के मोती
ढूंड उजड़े हुवें लोगों में वफ़ा के मोती
ढूंड उजड़े हुवें लोगों में वफ़ा के मोती
यह ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिले
यह ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है खराबों में मिले
जिस तरहा सूखे होए फूल
जिस तरहा सूखे हुवें फूल किताबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले
Written by:
Ahmed Faraz
Publisher:
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