Lata Mangeshkar - Yeh Raat Khushnaseeb Hai
ये रात खुशनसीब है, जो अपने चांद को
कलेजे से लगाए सो रही है
यहाँ तो ग़म की सेज पर हमारी आरज़ू
अकेली मूँह छुपाये रो रही है
ये रात खुशनसीब है, जो अपने चांद को
कलेजे से लगाए सो रही है
साथी मैंने पाके तुझे खोया
कैसा है ये अपना नसीब
हो हो तुझसे बिछड़ गयी मैं तो
यादें तेरी हैं मेरे करीब
हो हो तू मेरी वफ़ाओं में
तू मेरी सदाओं में
तू मेरी दुआओं में
ये रात खुशनसीब है, जो अपने चांद को
कलेजे से लगाए सो रही है
कटती नहीं हैं मेरी रातें
कटते नहीं हैं मेरे दिन हो हो
मेरे सारे सपने अधूरे
ज़िंदगी अधूरी तेरे बिन
हो ख्वाबों में निगाहों में
प्यार के पनाहों में
आ छुपाले बाहों में
ये रात खुशनसीब है, जो अपने चांद को
कलेजे से लगाए सो रही है
यहाँ तो ग़म की सेज पर हमारी आरज़ू
अकेली मूँह छुपाये रो रही है
Written by:
SAMEER, DILIP SEN, SAMEER SEN
Publisher:
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