Jagjit Singh - Kanton Se Daaman Uljhana
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत हैं
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत हैं
दिल में पराया दर्द बसाना
दिल में पराया दर्द बसाना मेरी आदत हैं
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत हैं
मेरा गला अगर कट जाए तो मुझ पर क्या इलज़ाम
मेरा गला अगर कट जाए तो मुझ पर क्या इलज़ाम
हर कातिल को गले लगाना
हर कातिल को गले लगाना मेरी आदत हैं
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत हैं
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से हैं सब दूर
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से हैं सब दूर
ऐसे लोगो को अपनाना मेरी आदत हैं
सब की बाते सुन लेता हू मैं चुपचाप मगर
सब की बाते सुन लेता हू मैं चुपचाप मगर
अपने दिल की करते जाना
अपने दिल की करते जाना मेरी आदत हैं
मेरी आदत हैं
दिल में पराया दर्द बसाना
दिल में पराया दर्द बसाना मेरी आदत हैं
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत हैं
मेरी आदत हैं
Written by:
PAYAM SAEEDI, JAGJIT SINGH
Publisher:
Lyrics © Universal Music Publishing Group
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