Jagjit Singh - Tumne Sooli Pe Latakte Jise Dekha Hoga

तुमने सूली पे लटकते हुये जिसे देखा होगा
तुमने सूली पे लटकते हुये जिसे देखा होगा
वक्‍त आयेगा यही शख्स मसीहा होगा
वक्‍त आयेगा यही शख्स मसीहा होगा
तुमने सूली पे लटकते हुये जिसे देखा होगा

ख्वाब देखा था कि सेहरा में बसेरा होगा
ख्वाब देखा था कि सेहरा में बसेरा होगा
क्या ख़बर थी कि वही ख़्वाब तो सच्चा होगा
वक्‍त आयेगा यही शख्स मसीहा होगा
तुमने सूली पे लटकते हुये जिसे देखा होगा

मैं फिज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर
मैं फिज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर
रंग होगा ना बदन होगा ना चेहरा होगा
वक्‍त आयेगा वही शख्स मसीहा होगा
तुमने सूली पे लटकते हुये जिसे देखा होगा

Written by:
JAGJIT SINGH, SAHIR HOSHIARPURI

Publisher:
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