Chitra Singh - Kisi Ranjish Ko Hawa Do Keh Main Zinda Hoon Abhi
किसी रंजिश को हवा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
किसी रंजिश को हवा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
मुझको एहसास दिला दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
मेरे रुकने से, मेरी साँसें भी रुक जाएँगी
मेरे रुकने से, मेरी साँसें भी रुक जाएँगी
फ़ासलें और बढ़ा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
मुझको एहसास दिला दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
ज़हर पीने की तो, आदत थी ज़मानें वालों
ज़हर पीने की तो, आदत थी ज़मानें वालों
अब कोई और दवा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
चलती राहों मे युही आँख लगी हैं फ़ाकिर
चलती राहों मे युही आँख लगी हैं फ़ाकिर
भीड़ लोगों की हटा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
किसी रंजिश को हवा दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
मुझको एहसास दिला दो, के मैं जिन्दा हूँ अभी
Written by:
JAGJIT SINGH, SUDARSHAN FAAKIR
Publisher:
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