महेंद्र कपूर - Tum Agar Saath Dene Ka Vada Karo
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देख कर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हें देख कर गीत गाता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
कितने जलवे फिज़ाओं में बिखरे मगर
मैंने अब तक किसी को उतारा नहीं
तुमको देखा तो नज़रें ये कहने लगी
हमको चेहरे से हटना गंवारा नहीं
तुम अगर मेरी नज़रों के आगे रहो
मैं हर एक शय से नज़रें चुराता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ
मैंने ख़्वाबों में बरसों तराशा जिसे
तुम वही संगमरमर की तस्वीर हो
ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ
तुम न समझो तुम्हारा मुकद्दर हूँ मैं
मैं समझता हूँ तुम मेरी तकदीर हो
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो
मैं बहारों की महफ़िल सजाता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ
आ आ आ आ
आ आ आ आ
मैं अकेला बहुत देर चलता रहा
अब सफ़र ज़िन्दगानी का कटता नहीं
जब तलक कोई रंगीं सहारा न हो
वक़्त काफिर जवानी का कटता नही
तुम अगर हमकदम बनके चलती रहो
मैं ज़मीन पर सितारे बिछाता रहूँ
तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नगमे लुटाता रहूँ
तुम मुझे देख कर मुस्कुराती रहो
मैं तुम्हें देख कर गीत गाता रहूँ
Written by:
Ravi, Sahir Ludhianvi
Publisher:
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