Rahat Fateh Ali Khan and Shankar Mahadevan - Aman Ki Asha
आ आ (आ)
दिखाई देते है दूर तक अब भी साए कोई
मगर बुलाने से वक़्त लौटे ना आए कोई
चलो ना फिर से बिच्छाए दरिया बजाए ढोलक
लगाके मेहंदी सुरीले टप्पे सुनाए कोई
पतंग उड़ाए उड़ाए उड़ाए उड़ाए
पतंग उड़ाए छतों पे चढ़के मोहल्ले वाले
फलक तो सांझा है, उसमे पेंचे लदाए कोई
उठो उठो कबड्डी कबड्डी खेलेंगे सरहडो पर
जो आए अब के तो लौटकर (जो आए अब के तो लौटकर)
फिर ना जाए कोई (फिर ना जाए कोई)
नज़र मे रहते हो
जब तुम नज़र नही आते
ये सुर मिलते है (ये सुर मिलते है)
जब तुम इधर नही आते (जब तुम इधर नही आते)
नज़र मे रहते हो जब तुम नज़र नही आते
ये सुर बुलाते है (ये सुर बुलाते है)
ये सुर बुलाते है (ये सुर बुलाते है)
जब तुम इधर नही आते (जब तुम इधर नही आते)
ये सुर बुलाते है जब तुम इधर नही आते
Written by:
SHANKAR-EHSAAN LOY
Publisher:
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