Ghulam Ali - Yeh Baatein Jhooti

ये बातें झूठी बातें हैं, ये बातें झूठी बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम इन्शा जी का नाम ना लो
तुम इन्शा जी का नाम ना लो
क्या इन्शा जी सौदाई हैं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

हैं लाखों रोग ज़माने में क्यों इश्क़ है रुसवा बेचारा
हैं और भी वजहें वहशत की इन्सां को रखती दुखियारा
हां बेकल बेकल रहता है हो प्रीत में जिसने दिल हारा
पर शाम से ले कर सुबहों तलक यूं कौन खड़े है आवारा
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

गर इश्क़ किया है तब क्या है क्यों शाद नही आबाद नहीं
जो जान लिये बिन टल ना सके ये ऐसी भी उफताद नहीं
ये बात तो तुम भी मानोगे वो कैश नहीं फ़रीहाद नहीं
क्या हिज़्र का दारु मुश्किल है क्या वस्ल की नुस्खे याद नहीं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें

जो हमसे कहो हम करते हैं क्या इन्शा को समझाना है
उस लड़की से भी कह लेंगे वो अब कुछ और ज़माना है
या छोड़े या तकमील करें ये इश्क है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख धंधा है, ये कैसा ताना बाना है
ये बातें झूठी बातें हैं, ये बातें झूठी बातें हैं
ये लोगों ने फैलाई हैं, तुम इन्शा जी का नाम ना लो
तुम इन्शा जी का नाम ना लो क्या इन्शा जी सौदाई हैं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं
ये बातें, ये बातें, ये बातें, ये बातें, ये बातें

Written by:
Nasir Kazmi

Publisher:
Lyrics © DISTROMACHINE PUBLISHING, Peermusic Publishing

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