Poornima and Udit Narayan - Saawan Mahina Lagi Hai
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
कबसे है तू मेरे पीछे पड़ी लड़की है तू या कोई हथकड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
कबसे है तू मेरे पीछे पड़ी लड़की है तू या कोई हथकड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
अच्छा लगे मुझे प्यारा लगे सारे ज़माने से मुझे न्यारा लगे
अच्छा लगे मुझे प्यारा लगे सारे ज़माने से मुझे न्यारा लगे
बारिश अंधेरा दो अजनबी कैसा हसी ये नज़ारा लगे
ऐसे में बोलो मैं जाऊ कहा ऐसे में बोलो मैं जाऊ कहा
भीगु अकेली सड़क पर खड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
आई कहा से है जाना कहा
मेरा तेरे बिन ठिकाना कहा
आई कहा से है जाना कहा
मेरा तेरे बिन ठिकाना कहा
आँखे कहा है निशाना कहा
तेरे सा हो दीवाना कहा
जब से मिला है तू गुस्से में है
जब से मिला है तू गुस्से में है
हसके दो बाते तो कर दो घड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
कबसे है तू मेरे पीछे पड़ी लड़की है तू या कोई हथकड़ी
सावन महीना लगी है झड़ी छत है ना छत्री मुश्किल बड़ी
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
तु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु रु रु तु तु रु रु तु तु रु तु रु
Written by:
ANAND BAKSHI, ANAND SHRIVASTAV, MILIND SHRIVASTAV
Publisher:
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