Shiraz Uppal - Bin Roye

ज़िंदगी इस प्यार में जिस राह चली (राह चली)
पाई है उस राह में एक बँध गली (बँध गली)

धड़कनो ने टूट कर ही साँस ली

दर्द से दिल को रिहाई ना मिली (ना मिली)

खामोशी क्या क्या बोले
मन भीगा होले होले बह जाए
बिन रोए, बिन रोए
नैना रहते हैं काहे ऐसे खोए, खोए
बिन रोए, बिन रोए

इश्क़ रोग बनता गया
जैसे दम निकलता गया रे
ख्वाहिशों के काँटों पे दिल
नंगे पाँव चलता गया रे
फिर धूल यादों से उडी
साए जुदा लगने लगे
और किर्छियाँ बन आईने
अब हाथ में चुभने लगे
एक नाम जो दिल दोहराए
दुख पाए होंश गवाए से जाए
बिन रोए, बिन रोए
नैना रहते हैं काहे ऐसे खोए, खोए
बिन रोए, बिन रोए

छाँव की दुआ के सीले
फेलते अंधेरे मिले रे
ख्वाब मिले जो आँखों को
नींद के लूटेरे मिले रे
कोई चोट है कोई ज़ख़्म है
हरपल बनी एक आस में
क्यूँ प्यार से नफ़रत ना हो
जीना अगर है प्यास में
बारिश भी आँसू बोए
सूखा मन चिर भिगोए रह जाए
बिन रोए, बिन रोए
नैना रहते हैं काहे ऐसे खोए, खोए
बिन रोए, बिन रोए बिन रोए, बिन रोए (रोए रोए रोए)

Written by:
Shakeen Sohail

Publisher:
Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC

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Shiraz Uppal

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