Jagjit Singh - Bol Ik Tare Jhan Jhan

बोल इकतारे झन झन झन झन
हे बोल इकतारे झन झन झन झन
कहकशां है मेरी सुंदन
शाम की सुर्ख़ी मेरा कुंदन
नूर का तड़का मेरी चिलमन
तोड़ चुका हूं सारे बंधन
पूरब पच्छम उत्तर दक्खन
बोल इकतारे झन झन झन झन
हे बोल इकतारे झन झन झन झन
मेरे तन में गुलशन सबके
मेरे मन में जोबन सबके
मेरे घट में साजन सबके
मेरी सूरत दर्शन सबके
सबकी सूरत मेरा दर्शन
बोल इकतारे झन झन झन झन
सब की झोली मेरी झोली
सब की टोली मेरी टोली
सब की होली मेरी होली
सब की बोली मेरी बोली
सब का जीवन मेरा जीवन
बोल इकतारे झन झन झन झन
बोल इकतारे झन झन झन झन
सब के काजल मेरे पारे
सब की आँखें मेरे तारे
सब की साँसें मेरे धारे
सारे इंसां मेरे प्यारे
सारी धरती, ई ई ई ई ई
सारी धरती मेरा आंगन
बोल इकतारे झन झन झन झन
बोल इकतारे झन झन झन झन
बोल इकतारे झन झन झन झन

Written by:
Jagjit Singh, Josh Malihabadi

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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