Vinod Sehgal - Tabiyat In Dinon

तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है
तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है
मेरे हिस्से की गोया हर खुशी कम होती जाती है
तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है

क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दो आलम होती जाती है
क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दो आलम होती जाती है
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है

वही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है
वही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है
वही है शम्मा लेकिन रौशनी कम होती जाती है
वही है शम्मा लेकिन रौशनी कम होती जाती है

वही है ज़िन्दगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना
वही है ज़िन्दगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना
के जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है
के जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है
तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है
मेरे हिस्से की गोया हर खुशी कम होती जाती है

Written by:
Jigar Muradabadi, Jagjit Singh

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Vinod Sehgal

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