Kavita Krishnamurthy and Amit Kumar - Parda Utha

बाआलम होशियार
बाआलम होशियार
बाआलम होशियार
बाआलम होशियार
कायदा ये है खून का बदला खून (बाआलम होशियार)
बाआलम होशियार
कायदा ये है (बाआलम होशियार)
खून का बदला खून (बाआलम होशियार)
कायदा ये है (बाआलम होशियार)

हु हु हु हु हु हु

आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ

ओ ओ रंग भरा यह समा है

है है

रात हसीन है जावा है

है है

साज बजे दिल गाये

है है

धड़कन कहती जाए

है है

पर्दे के पिछे
पर्दे के पिछे
कोई छुपा है
करले तू हौसला
परदा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)
परदा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)

रंग भरा यह समा है

है है

रात हसीन है जावा है

है है

साज बजे दिल गाये

है है

धड़कन कहती जाए

है है
पर्दे के पिछे
पर्दे के पिछे
कोई च्छूपा है
करले तू हौसला

परदा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)
ओ परदा उठा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)

आ आ आ आ आ

वक़्त सुनता है जो कहानी
आज वो पूरी होगी

होगी होगी

है जो मुसाफिर और मंज़िल में
ख़त्म वो दूरी होगी

होगी होगी

अपनी है ये कहानी
गुज़री यूँ ज़िंदगानी
अपने मिलने ना पाए
सब हमसे थे पराए
साथी ने ऐसा लूटा
अपना घर हमसे छूटा

अपना घर हमसे छूटा

आज मिलेगा इन करमो का
आज मिलेगा इन करमो का
उसको पूरा सिला
परदा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)
परदा उठा उठा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)

मेरे भी जख़्मो का हिसाब आज
उसको देना होगा

होगा होगा

सच्चा हर इल्ज़ाम उसे
अपने सर लेना होगा

होगा होगा

मेरा था एक घरोंदा
उसने पैरो से रोंदा
छीना घर बार जिसने
छीना हर प्यार जिसने
मुजरिम ना माफ़ होगा
आज इंसाफ़ होगा

आज इंसाफ़ होगा

क्या ऐसे मुजरिम की सज़ा है
क्या ऐसे मुजरिम की सज़ा है
होगा यह फ़ैसला

परदा उठा परदा उठा

ओ परदा उठा उठा उठा परदा उठा (परदा उठा परदा उठा)

जीता है दुश्मन अब तक
हर बाजी हमने माना

हमने माना

सो है सुनार की एक लुहार की
उसने ये ना जाना

ये ना जाना

ज़ुल्म की जहाँ वाइ वाइ
अब ना फलेगी वाइ वाइ
पारस की नाव वाइ वाइ
अब ना चलेगी वाइ वाइ
पाप की लंका वाइ वाइ
पल में उजदेगी वाइ वाइ
झूठ की बात वाइ वाइ
पल में बिगड़ेगी वाइ वाइ
है वो चालक माना
उसने ना हमको जाना
कौन है तु और
कौन हूँ मैं
कौन है तु और
कौन हूँ मैं
वो भी तो जाने ज़रा (वो भी तो जाने ज़रा)

तू रूप की रानी
तू चोरो का राजा
सितम को मिटा दे
तू दुश्मन बेचारा
रु रु रु रु रु रु
तू रूप की रानी
तू चोरो का राजा
सितम को मिटा दे
तू दुश्मन बेचारा
रु रु रु रु रु रु
तू रूप की रानी
तू चोरो का राजा
सितम को मिटा दे
तू दुश्मन बेचारा
रु रु रु रु रु रु

Written by:
JAVED AKHTAR, LAXMIKANT PYARELAL

Publisher:
Lyrics © Royalty Network

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Kavita Krishnamurthy and Amit Kumar

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