Pankaj Udhas - Niklo Na Benaqab
बे पर्दा नज़र आई जो कल चंद बिवियाँ
अकबर जमीन में गैरत-ए-कौनी से गड गया
पूछा जो मैने, आपका पर्दा वो क्या हुआ
कहने लगी के, अक्ल पे मर्दों की पड़ गया
निकलो ना बेनकाब
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
सब कुछ हमे खबर है नसीहत ना कीजिए
क्या होंगे हम ख़राब ज़माना ख़राब है
क्या होंगे हम ख़राब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
मतलब छुपा हुआ है यहाँ हर सवाल में
दूँ सोचकर जवाब जमाना ख़राब है
दूँ सोचकर जवाब जमाना ख़राब है
और उसपे ये शबाब जमाना ख़राब है
निकलो ना बेनकाब ज़माना ख़राब है
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
राशिद तुम आ गए हो ना आख़िर फरेब में
कहते ना थे जनाब ज़माना ख़राब है
कहते ना थे जनाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनक़ाब ज़माना ख़राब है
और उसपे ये शबाब ज़माना ख़राब है
निकलो ना बेनक़ाब ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है, ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है, ज़माना ख़राब है
ज़माना ख़राब है
Written by:
MUMTAZ RASHID, PANKAJ UDHAS
Publisher:
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