सुरेश वाडकर and Kumar Sanu - Gungunati Hui
गुनगुनाती हुई एक नदी मिल गयी
अजनबी शहर में दोस्ती मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी
गुनगुनाती हुई एक नदी मिल गयी
अजनबी शहर में दोस्ती मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी
तुम मेरे हो बस मेरे ही मेरे हो
शायरो के लिए शायरी मिल गयी
रात के शहर को चाँदनी मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी
हर तरफ तुम नज़र आ रहे हो मुझे
दूर हूँ पास अपने बुला लो मुझे
मैं मोहब्बत हूँ दिल में छुपा लो मुझे
आज अपने गले से लगा लो मुझे
दोस्ती मिल गयी
शायरी मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी
हे मैं ये कहता हूँ ख्वाबो की जन्नत हो तुम
ख्वाब तो ख्वाब है एक हक़ीकत हो तुम
हा दिल मोहब्बत का मंदिर है मूरत हो तुम
इस जमीं पे खुदा की इनायत हो तुम
बंदगी मिल गयी
हर खुशी मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी
गुनगुनाती हुई एक नदी मिल गयी
शायरो के लिए शायरी मिल गयी
तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी (तुम मिले क्या मुझे ज़िंदगी मिल गयी)
Written by:
SAMEER, VISHAL
Publisher:
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